Ramchandra Pokale is an acclaimed Delhi-based artist who has won several awards including from AIFACS, New Delhi; The Bombay Art Society, Mumbai; the Indian Academy of Fine Arts, Amritsar; Hyderabad Art Society, Hyderabad; Maharashtra State Award, etc. Hailing from a village in Maharashtra, he holds a diploma, bachelor degree (BFA) and master’s degree in painting. He has held eight solo exhibitions in various galleries in India including at the Lalit Kala Akademi, New Delhi; Alankritha Art Gallery, Hyderabad, and AIFACS Gallery, New Delhi. He has also participated in a number of group exhibitions including at Jehangir Art Gallery, Mumbai; Lalit Kala Akademi, New Delhi; Open Palm Court Gallery, New Delhi; Visual Art Gallery, New Delhi; and a retrospective show at the Indian Council for Cultural Relations, New Delhi. Known for his textured and grainy acrylic works, he is equally at ease with the graphite pencil and also does digital art. For the past two decades he has lived and worked in Delhi.
रामचंद्र पोकले दिल्ली के एक प्रसिद्ध कलाकार हैं, जिन्होंने आईफैक्स, नई दिल्ली, द बॉम्बे आर्ट सोसाइटी, मुंबई, इंडियन एकेडमी ऑफ फाइन आर्ट्स, अमृतसर, हैदराबाद आर्ट सोसाइटी, हैदराबाद, महाराष्ट्र राज्य आदि से कई पुरस्कार प्राप्त किये हैं। वे मूलतः महाराष्ट्र के एक गांव के रहने वाले हैं और उन्होंने पेंटिंग में डिप्लोमा, स्नातक डिग्री (बीएफए) और मास्टर डिग्री प्राप्त की है। उन्होंने ललित कला अकादमी, दिल्ली, अलंकृता आर्ट गैलरी, हैदराबाद और आईफैक्स गैलरी, दिल्ली सहित भारत की विभिन्न कला दीर्घाओं में 8 एकल प्रदर्शनियाँ आयोजित की हैं। उन्होंने जहाँगीर आर्ट गैलरी, मुंबई सहित ललित कला अकादमी, दिल्ली , ओपन पाम कोर्ट गैलरी, दिल्ली, विज़ुअल आर्ट गैलरी, दिल्ली में कई समूह प्रदर्शनियों का आयोजन किया है; इसके अलावा भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, दिल्ली में उनका एक रेट्रोस्पेक्टिव शो भी किया जा चुका है। उन्हें अपने भिन्न भिन्न दानेदार टेक्सचर वाले ऐक्रेलिक चित्रों के लिए जाना जाता है, वे ग्रेफाइट पेंसिल के साथ समान रूप से सहज हैं और डिजिटल आर्ट में भी विशेष रूचि रखते हैं। वे पिछले २० वर्षों से दिल्ली में रहकर कला के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं।
1. When did you decide and what prompted you to become an artist? Please give a brief account of your challenges and struggles in your journey as an artist. Any role models?
RP: To be associated with painting was not something alien for me, nor did I have to make any special effort for it. What I’ve loved most since childhood has been to make pictures and sculptures, and to listen to music on the radio. So, naturally, I became associated with art and the literature available to me formed the basis for my medium of expression. At that time, there was no awareness of art in our village in Maharashtra it wasn’t considered acceptable to consider art as a means of earning a living. For this reason, information like education in this field was unavailable. There was no means whereby one could get acquainted with the field of art. TV was till then still quite far from the villages and even newspapers were bought specially to check board examination results. Despite this, whatever time I got apart from my studies, I spent making pictures and sculptures with the smooth soil of the field.
By the time I became a commerce graduate, I had information of the Art Teachers Diploma and BFA. After completing M.Com (previous), I decided to go to another city to study art, despite my parents’ displeasure. Their displeasure was because by that time I’d started earning well by doing some freelance painting. The other reason was probably because I was their only son and they didn’t want to send me alone to another city.
Over time I got a diploma in painting and then did a BFA. Years of art studies changed my perspective. I started getting used to doing good work. Gaining awards and always coming first in the examination became a habit. I received many awards even as a student itself, such as the Ministry of Human Resource Development scholarship and the Maharashtra State Award. After completing the Fellowship at Nagpur University, the journey till my Masters and coming to Delhi was full of many ups and downs.
I have not been impressed with any particular artist or person, but I always like to appreciate and learn what I like.
मेरे लिए चित्रकला से जुड़ना कोई अलग सा अहसास नहीं था ना ही इसके लिए कोई अलग प्रयास किया गया। बचपन से जो कार्य सबसे अधिक पसंद था वो था चित्र व मूर्तियां बनाना व रेडियो पर संगीत सुनना। इसलिए स्वाभाविक रूप से कला के साथ जुड़ता चला गया व जो साहित्य उपलब्ध हुआ वही अभिव्यक्ति का माध्यम बनता गया। उस समय महाराष्ट्र के हमारे उस गांव में कला को जीवनयापन का जरिया समझने की जागरूकता नहीं थी। इसलिए इस क्षेत्र में शिक्षा प्राप्त करने जैसी जानकारी भी नहीं मिल सकती थी। कला के क्षेत्र से परिचय होने जैसा कोई साधन नहीं था। उस समय तक टी.वी. गावों से काफी दूर था व समाचारपत्र भी केवल बोर्ड परीक्षा का परिणाम देखने के लिए ही ख़रीदा जाता था। इसके बावजूद पढाई के अतिरिक्त जो भी समय मिलता वह चित्र व खेत की चिकनी मिटटी से मूर्तियाँ बनाने में व्यतीत होता।
वाणिज्य स्नातक होते होते मुझे कला शिक्षक प्रशिक्षण डिप्लोमा (Art Teachers Diploma) व B.F.A. के बारे में जानकारी मिली व M. Com (previous) होने के बाद मैंने मां-पिताजी की नाराजगी सहते हुए दूसरे शहर में जाकर कला अध्ययन करने का निर्णय लिया। उनकी नाराजगी इसलिए थी क्योंकि उस समय तक स्वतंत्र रूप से चित्रकला से सम्बंधित व्यावसायिक कार्य करते हुए मैं अच्छा भला कमाने लगा था व दूसरी वजह मैं उनका इकलौता बेटा था इसलिए भी शायद वे मुझे अकेले दूसरे शहर भेजना नहीं चाहते थे।
पर समय के साथ साथ मैंने चित्रकला में डिप्लोमा व उसके बाद B.F.A. किया। वर्षों के कला अध्ययन ने मेरे नजरिये को बदल दिया। अच्छा काम करने की आदत होने लगी। अवार्ड लेना व परीक्षा में हमेशा सर्वप्रथम आना आदत में शुमार हो गया। विद्यार्थी दशा में ही मानव संसाधन विकास मंत्रालय की स्कालरशिप, महाराष्ट्र राज्य पुरस्कार जैसे अनेक पुरस्कार प्राप्त हो चुके थे। नागपुर विश्वविद्यालय की फेलोशिप पूरी करने के बाद masters करने और दिल्ली आने तक का सफर अनेक उतार-चढ़ाव से भरा रहा।
किसी विशेष कलाकार या व्यक्ति से मैं प्रभावित नहीं हुआ पर जिसमें जो अच्छा लगा उसे सराहना व सीखना मुझे हमेशा अच्छा लगता है।
2. What art project(s) are you working on currently? What is your inspiration or motivation for this?
RP: I do not get involved in projects (that are commercial), but I keep working on my art as a project. I want to move towards constructive learning by listening to the voice of my inner artist rather than looking for any external motivation.
मैं व्यावसायिक परियोजनाओं (प्रोजेक्ट्स) में शामिल नहीं होता हूँ बल्कि अपने कला निर्माण के सफर को ही परियोजना के तौर पर पूर्ण करता रहता हूँ। किसी बाहरी मोटिवेशन के बजाय अपने अंदर के कलाकार की आवाज सुनकर रचनात्मक कलानिर्मिति करने की ओर अग्रसर होना चाहता हूँ।
Belongings - I, Glass marking pencil on paper
Identity - 1, Glass marking pencil on paper
Rajyog, Glass marking pencil on paper
The Play of Life, Glass marking pencil on paper
Remembrance of Journey - II, Glass marking pencil on paper
Thought and Reality, Glass marking pencil on paper
Identity - 2, Glass marking pencil on paper
Cultural Evaluation of the Empire - 1, Mix media
Cultural Evaluation of the Empire - 2, Mix media
Freedom of Technical Minds, Digital
Shirsh (Head), Pastels on paper
Brain X-ray, Digital
3. Contemporary art has become very diverse and multidisciplinary in the last few decades. Do you welcome this trend? Is this trend part of your art practice?
RP: Contemporary art continues to prosper over time. It is a matter of pride that in each era of art, it has developed along with a diversity of talents and opportunities. What was yesterday is completely different today. Each time it seems to be expanding her boundaries further. So the artist gets a more extended area to work in. So many new genres have been born with these new experiments. Contemporary art, enriched with new experiments, has always inspired the artist with new challenges and will continue to enrich and prosper in the future. This change is necessary.; it mainly occurs at an ideological and conceptual level. As the artist struggles for their livelihood, they remain enthusiastic about recognizing the changes happening in contemporary art, giving it a new direction and upgrading it. I believe that this is the most important contribution of an artist, rather than how many paintings they have sold or how much money they have made.
समकालीन कला समय के साथ समृद्ध होती आई है। यह गौरव की बात है कि चित्रकला के प्रत्येक युग में उसे अलग अलग प्रतिभाओं व संभावनाओं के बीच विकसित होने का अवसर मिला। जो कल था वो आज पूर्णतः भिन्न है। हर बार वह अपनी सीमाओं को और विस्तृत करती नजर आती है। इसलिए कलाकार को काम करने के लिए और अधिक विस्तारित अवकाश मिल जाता है। इन नित नए प्रयोगों से कितनी ही नई विधाओं का जन्म हुआ है। नए प्रयोगों के साथ समृद्ध होती समकालीन कला, कलाकार को हमेशा नई चुनौतियों के साथ प्रेरित करती रही है व भविष्य में भी ऐसी ही सम्पन्न तथा समृद्ध होती रहेगी। यह बदलाव जरुरी है। यह बदलाव मुख्यतः वैचारिक स्तर पर व अवधारणा के स्तर पर होता है। कलाकार जैसे अपनी जीविका के लिए संघर्ष करता है वैसे ही वह समकालीन कला में हो रहे बदलावों को पहचानने, उसे नई दिशा देकर उन्नत करने के लिए उत्साहित रहता है। मेरा मानना है कि एक कलाकार का यही योगदान सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है, बजाय इसके कि उसने कितने चित्र बेचे या कितना पैसा कमाया।
4. Does art have a social purpose or is it more about self-expression?
RP: Art can never be objective. It is always created with a particular goal in mind. The medium is the artist. Then, each artist has their own medium. There are two main objectives of art: the first objective is achieved during the process of art making and the second after the art is created. While the art process makes the artist feel the joy of the process of production, the art produced makes the viewer experience the pleasure of observing and communicating with the artwork. Irrespective of whatever reason the artist creates art, the feeling of ecstasy of creation is first and foremost.
कला कभी भी निरुद्देश्य नहीं हो सकती। वह हर समय किसी विशेष लक्ष्य को लेकर ही सृजित होती रहती है। माध्यम कलाकार होता है। कलाकार का फिर अपना अलग माध्यम होता है। कला के मुख्य उद्देश्य दो तरह के होते हैं। पहला उद्देश्य कला के निर्माण की प्रक्रिया तक व दूसरा कला निर्माण के बाद साध्य होता है। निर्माणाधीन कला कलाकार को निर्मिति की प्रक्रिया के आनंद का अहसास कराती है तो निर्मित कला दर्शक को अवलोकन व कलाकृति से संवाद के आनंद का अहसास कराती है। कलाकार किसी भी दूसरे उद्देश्य से कला का निर्माण करता हो पर सृजन के परमानन्द का अहसास सर्वप्रथम व सर्वोपरि होता है।
5. Where do you create your art (workplace / studio)? What is your process?
RP: I have a separate room for my art at my residence where all the necessary things of art creation are stored. Generally all my family members call that room 'studio'. Although there is no special arrangement like a modern studio, but apart from some literature on art creation, there is good light and the necessary solitude, which is enough for me. I spend most of the time over the weekend here. On other days, I spend 2 hours in the evening in the studio after returning from office. If there is canvas or paper on the easel, then the motivation to work is automatic; that blank surface calls out to create, which I’m able to give in timely installments. It stares at me continuously. The process of thinking and moving the pencils and brushes continue till the work is complete and off the easel.
अपने निवास स्थान पर चित्रकला की साधना के लिए एक अलग कमरे में कला साधना की जरुरी चीजें जुटाई हुई हैं। आदतन घर के सभी सदस्य उस कमरे को 'स्टूडियो' ही बुलाते हैं। हालाँकि उसमें आधुनिक स्टूडियो जैसी कोई विशेष व्यवस्था नहीं है, पर कलानिर्मिति के साहित्य के अलावा वहाँ अच्छा प्रकाश व जरुरी एकांत रहता है, मेरे लिए इतना काफी है। शनिवार व रविवार का ज्यादातर समय इसी जगह पर बीतता है। बाकि दिन ऑफिस से आने के बाद, शाम के २ घंटे इसी स्टूडियो में गुजारता हूँ। ईजल पर कैनवास या पेपर लगा हो तो काम करने की प्रेरणा अपने आप मिलती रहती है, वह अवकाश बुलाता है, मैं भी किश्तों में समय देता हूँ। वह यूँही मुझे ताकता रहता है। सोचते रहना व पेंसिल तथा ब्रश चलाते रहना यह प्रक्रिया चलती रहती है, चित्र पूरा होकर ईजल से उतरने तक।
6. To what extent will the world of art change in the post-Covid period – both in terms of what is created as also the business of art?
RP: The state of society has always influenced art. Artists and society are all affected, especially in situations like war and epidemics. Covid-19 has made its impact on the world stage and the field of art has also not remained untouched. Some artists were concerned about their survival during this pandemic, while some considered the state of lockdown as an opportunity for art creation. The subjects have also changed, but the maximum impact has been on the art business. The efforts of the continuing economic reforms during the last three years in the Indian art world have become clouded by this epidemic. Through some effort, from last October and November, a lot of things have been coming back on track owing to the use of online platforms but these are not enough. This requires greater effort and world-class support. It will take time to recover. Time is difficult for the artists who depend only on art for their livelihood.
सामाजिक स्थिति कला को हमेशा प्रभावित करती आयी है। खासकर युद्ध व महामारी जैसी स्थिति में कला, कलाकार व समाज सभी प्रभावित होते हैं। कोवीड -19 ने विश्वस्तर पर अपना प्रभाव छोड़ा है। इससे कला का क्षेत्र भी अछूता नहीं रहा है। कुछ कलाकार इस महामारी के दौर में अपने अस्तित्व को लेकर चिंतित हुए, तो कुछ ने लॉक डाउन की स्थिति को कला निर्मिति का मौका समझा। कलाकारों की कला के विषय भी बदल गए पर सर्वाधिक असर कला के व्यवसाय पर हुआ है । तीन वर्ष पूर्व भारतीय कलाक्षेत्र में आर्थिक सुधार की जो कोशिशें चल रही थी वे सारी इस महामारी की वजह से धूमिल हो गई। कुछ कोशिशों की वजह से पिछले अक्टूबर नवम्बर से थोड़ी बहुत चीजें ऑनलाइन मोड़ में पटरी पर लौटती दिख रही हैं पर ये पर्याप्त नहीं हैं। इसके लिए और अधिक कोशिशों व विश्वस्तरीय सहायता की जरुरत है। उबरने के लिए समय लगेगा। जो कलाकार अपने जीवनयापन के लिए केवल कला पर निर्भर हैं उनके लिए समय कठिन है।
7. Tell us about any other interest you may have besides your art practice. Does it get reflected
in your art?
RP: The infinite diversity and creativity of nature, the sheer seriousness of the river, the vastness and solidity of the mountains, the disorderliness of the birds, the melodious rhythms of music, the multifarious dimensions of the crafts and the all-encompassing personality of planet Earth fascinates me. I see a variety of music and shapes in all forms of nature. I am interested to see, hear, feel and lose myself in them.
प्रकृति की अमर्याद विविधता व रचनात्मकता, महानदी की धीर गंभीरता , पहाड़ों की विशालता व दृढ़ता, पक्षियों की उच्छृंखलता, संगीत की सुमधुर लय, शिल्पों के बहुविध आयाम व वसुंधरा का सर्वसमावेशी व्यक्तित्व मुझे मोहित करता है। मुझे प्रकृति के सभी रूपों में विविध तरह का संगीत व रूपाकार दिखाई देते हैं। उन्हें देखना, सुनना, महसूस करना व उनके साथ खो जाना ही मेरी रूचि है।
(Original responses in Hindi translated into English by artamour.)
(All images are courtesy of the artist, Ramchandra Pokale)
The artamour questionnaire is a regular series of interviews with visual artists across disciplines, who share their views about art, their practice and their worldview on a common questionnaire template. Like, comment, share and subscribe to stay updated.
Interesting work. Brain XRay, I liked the most. Followed by Cultural evaluation series, Thought and Reality, Identity series and Rajyog. Brain XRay & Rajyog do point towards the identity of the Chaiwala. Best
Awesome work always.... my favourite sir....🙏🙏
Amazing works👌👌